श्री राम पथ: १४ वर्ष का वनवास, अनंत प्रेरणा
तमसा नदी: प्रस्थान का प्रथम चरण, अयोध्या से वनवास की ओर मार्गदर्शक।
शरयू नदी: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में, पवित्र स्नान और आगे की यात्रा।
चित्रकूट: वनवास का प्रारंभिक आश्रय, आध्यात्मिकता और शांति का प्रतीक।
पंचवटी: घने जंगल में दस वर्ष, जीवन का सरल स्वरुप और प्रकृति का सान्निध्य।
ऋषि-मूक पर्वत: पवित्र शिखर, तपस्या और ज्ञान का अनुभव।
दंडकारण्य: जटायु से मिलन, शबरी की भक्ति का अनुभव।
किष्किन्धा: वानरों का राज्य, हनुमान से मित्रता, लंका की ओर रास्ता।
सेतुबंधन: रामसेतु का निर्माण, समुद्र पर विजय, दृढ़ संकल्प का प्रतीक।
लंका: रावण से युद्ध, धर्म की विजय, बुराई पर अच्छाई का उत्सव।
रामेश्वरम: लौटने का अंतिम पड़ाव, भगवान शिव का पूजन, वनवास का समापन।
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