बिंदुक्षणी माता मंदिर: भारद्वाज गोत्र की कुलदेवी | Bindukshani Mata Mandir

श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर, माता दुर्गा के एक शक्तिपीठ के रूप में विख्यात, यह मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। पश्चिमी राजस्थान के आध्यात्मिक धामों की यात्रा का यह पहला पड़ाव है।

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बिंदुक्षणी माता मंदिर का परिचय | बिंदुक्षणी माता मंदिर | Introduction of Bindukshani Mata Mandir

राजस्थान की धरती वीरता की गाथाओं और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जितनी प्रसिद्ध है, उतनी ही सुंदर मंदिरों और आध्यात्मिक महत्व के स्थलों के लिए भी जानी जाती है। हमारी यात्रा का पहला पड़ाव पश्चिमी राजस्थान के पाली जिले में स्थित प्रसिद्ध भारद्वाज गोत्र की कुलदेवी श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर है। यह मंदिर माता दुर्गा के एक शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है और हजारों वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

कहा जाता है कि यह मंदिर एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है। इसकी स्थापना किसी स्थानीय राजा द्वारा करवाई गई थी। सदियों से मंदिर का जीर्णोद्धार और विस्तार होता रहा है। भव्य नागर शैली में निर्मित यह मंदिर ऊंचे शिखरों और जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है।

बिंदुक्षणी माता मंदिर का स्थान | बिंदुक्षणी माता मंदिर कहा स्थित है | Location of Bindukshani Mata Mandir | Bindukshani Mata Mandir kaha hai

श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर, राजस्थान के पश्चिमी भाग में स्थित पाली जिले का एक रत्न है। यह मंदिर पाली शहर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए पाली शहर से निकलने के बाद सुमेरपुर रोड की ओर जाना पड़ता है। कुछ ही दूर चलने पर रास्ता मंदिर की ओर मुड़ जाता है। मंदिर एक ऊंचे स्थान पर स्थित है, जो चारों ओर से मनमोहक पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह स्थान न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क है और व्यक्तिगत वाहन या टैक्सी आसानी से ली जा सकती है।

बिंदुक्षणी माता मंदिर की वास्तुकला | Architecture of Bindukshani Mata Mandir

श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर अपनी धार्मिक महत्ता के साथ-साथ उत्तरा भारतीय मंदिर शैली, नागर शैली, का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह शैली ऊंचे शिखरों, जटिल नक्काशियों और विशाल हॉलों के लिए जानी जाती है।

मंदिर का मुख्य गर्भगृह पवित्र संगमरमर से बना हुआ है। गर्भगृह के केंद्र में भव्य मूर्ति विराजमान है, जिन्हें माता बिंदुक्षणी के नाम से जाना जाता है। माता की मूर्ति के चारों ओर मंदिर के पुजारियों द्वारा चढ़ाए गए श्रद्धालुओं के भेंट चमकते हुए देखे जा सकते हैं।

गर्भगृह के बाहर एक विशाल मंडप है। इस मंडप को स्तंभों की कतारों ने सुसज्जित किया हुआ है। इन स्तंभों और मंडप की दीवारों पर देवी-देताओं की कहानियों को दर्शाती हुई जटिल नक्काशियां की गई हैं। ये नक्काशियां न केवल कलात्मक दृष्टि से मनमोहक हैं, बल्कि हिंदू धर्मग्रंथों की कहानियों को दर्शाकर श्रद्धालुओं की आस्था को भी बढ़ाती हैं।

बिंदुक्षणी माता मंदिर का निर्माण | Construction of Bindukshani Mata Mandir

श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना माना जाता है, लेकिन इसके निर्माण का कोई लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, इस भव्य मंदिर का निर्माण एक स्थानीय राजा द्वारा करवाया गया था।

सदियों से मंदिर का जीर्णोद्धार और विस्तार होता रहा है। ऐसा माना जाता है कि मुगलकाल के दौरान मंदिर को क्षति पहुंचाई गई थी। बाद में, मराठा शासनकाल में इसका जीर्णोद्धार करवाया गया। वर्तमान समय में भी मंदिर का जीर्णोद्धार और रख-रखाव का कार्य निरंतर चलता रहता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बना रहे।

बिंदुक्षणी माता मंदिर का इतिहास | Bindukshani Mata Mandir history in Hindi | Bindukshani Mata Mandir Rajasthan History

श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर का इतिहास, रहस्य और श्रद्धा का संगम है। यद्यपि मंदिर के निर्माण का कोई ठोस लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है, फिर भी सदियों से चली आ रही किंवदंतियां और पुराणों में वर्णित कथाएं इसके इतिहास की झलक दिखाती हैं। आइए, हम इन किंवदंतियों और इतिहास के कुछ अंशों को उजागर करें:

प्राचीन मंदिर की स्थापना:

स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, मंदिर एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है। माना जाता है कि इसका निर्माण किसी स्थानीय राजा द्वारा करवाया गया था। राजा को सपने में माता दुर्गा के दर्शन हुए थे, और उन्हें इस स्थान पर मंदिर बनाने का निर्देश दिया गया था। राजा के आदेश पर मंदिर का निर्माण करवाया गया और तब से यह श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन गया है।

मंदिर के नाम की उत्पत्ति:

मंदिर के नाम “बिंदुक्षणी” के पीछे भी एक रोचक कहानी है। कहा जाता है कि सतयुग में, माता सती के शरीर के अंग पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर गिरे थे। इनमें से माता का एक अंग (बिंदु) इसी स्थान पर गिरा था। इसी कारण, इस स्थान को “बिंदू” और यहां विराजमान देवी को “बिंदुक्षणी माता” के नाम से जाना जाता है।

मुगल काल और मंदिर का जीर्णोद्धार:

मुगल शासन के दौरान, कई हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया था। माना जाता है कि श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर भी उसी समय क्षतिग्रस्त हुआ था। हालांकि, इस बात के लिए कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं हैं।

मराठा शासन और पुनर्निर्माण:

१८ वीं शताब्दी में, मराठा साम्राज्य के शासनकाल के दौरान मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया। मराठों ने मंदिर की मरम्मत करवाई और इसके आसपास के क्षेत्र का भी विकास किया। इस दौरान, मंदिर की भव्यता और वैभव में वृद्धि हुई।

आधुनिक युग में मंदिर:

भारत के स्वतंत्र होने के बाद से, श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर का महत्व लगातार बढ़ता गया है। मंदिर के जीर्णोद्धार और रख-रखाव का कार्य निरंतर चलता रहता है। वर्तमान समय में, यह मंदिर न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है। हजारों श्रद्धालु हर साल मंदिर आकर माता बिंदुक्षणी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।

बिंदुक्षणी माता मंदिर के प्रमुख दर्शनीय स्थल | बिंदुक्षणी माता मंदिर के पर्यटन स्थल |  Major tourist places around Bindukshani Mata Mandir

हजारो वर्षों का इतिहास समेटे हुए श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ स्थापत्य कला का भी एक अद्भुत उदाहरण है। आइए, दर्शन के लिए जाते समय मंदिर के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थलों पर एक नज़र डालें:

  • गर्भगृह: मंदिर का मुख्य आकर्षण गर्भगृह है। यह पवित्र स्थल भव्य संगमरमर से बना हुआ है। गर्भगृह के केंद्र में भव्य मूर्ति विराजमान है, जिन्हें माता बिंदुक्षणी के नाम से जाना जाता है। श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने और माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गर्भगृह में जाते हैं।
  • मंडप: गर्भगृह के बाहर एक विशाल मंडप है। यह मंडप स्तंभों की कतारों से सुसज्जित है। इन स्तंभों और मंडप की दीवारों पर देवी-देताओं की कहानियों को दर्शाती हुई जटिल नक्काशियां की गई हैं। श्रद्धालु यहां बैठकर पूजा-पाठ कर सकते हैं और मंदिर के शांत वातावरण का आनंद ले सकते हैं।
  • शिखर: नागर शैली में निर्मित इस मंदिर की विशेषता इसका ऊंचा शिखर है। शिखर की सुंदर नक्काशी दूर से ही श्रद्धालुओं का ध्यान खींचती है। माना जाता है कि शिखर का निर्माण मंदिर के जीर्णोद्धार कार्यों के दौरान किया गया था।
  • प्राकृतिक सौंदर्य मंदिर पहाड़ियों से घिरे हुए ऊंचे स्थान पर स्थित है। मंदिर दर्शन के साथ-साथ श्रद्धालु आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद ले सकते हैं। शांत वातावरण और मनोरम दृश्य मन को प्रसन्नता प्रदान करते हैं।

बिंदुक्षणी माता मंदिर घूमने का सही समय | Right time to visit Bindukshani Mata Mandir

श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर घूमने का अनुभव साल के दौरान मौसम के अनुसार बदल सकता है। आपको यह तय करने में मदद के लिए कि मंदिर दर्शन के लिए जाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है, यहां मौसम और भीड़ को ध्यान में रखते हुए कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • सर्दियों का मौसम (अक्टूबर से मार्च): सर्दियों के महीने मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय माने जाते हैं। इस दौरान मौसम सुखद रहता है। न तो बहुत गर्मी होती है और न ही बहुत ठंड। भीड़ भी कम रहती है, जिससे आप शांतिमय वातावरण में दर्शन कर सकते हैं और मंदिर के वातावरण का आनंद ले सकते हैं।
  • मानसून से बचें (जुलाई से सितंबर): मानसून के दौरान (जुलाई से सितंबर) तेज बारिश हो सकती है। इससे मंदिर तक पहुंचने वाले रास्तों पर कीचड़ हो सकती है और मंदिर परिसर में भी परेशानी हो सकती है।
  • गर्मियों का मौसम (अप्रैल से जून): गर्मियों में (अप्रैल से जून) तेज गर्मी पड़ती है। हालांकि, अगर आप गर्मी सहन कर सकते हैं, तो भी आप मंदिर जा सकते हैं। भीड़ आम तौर पर कम ही रहती है। दिन के समय दर्शन करने के बजाय सुबह जल्दी या शाम को जाने का सुझाव दिया जाता है।

आप मंदिर में होने वाले किसी विशेष उत्सव या पूजा के दौरान जाने की भी योजना बना सकते हैं। हालांकि, इन दौरान मंदिर में काफी भीड़ हो सकती है। इसलिए, यदि आप शांत वातावरण में दर्शन करना चाहते हैं, तो उपरोक्त मौसम संबंधी सुझावों को ध्यान में रखें।

बिंदुक्षणी माता मंदिर खुलने का समय और प्रवेश शुल्क | बिंदुक्षणी माता मंदिर का समय  | Timing of Bindukshani Mata Mandir

श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर दर्शन के लिए जाने की योजना बना रहे हैं? तो आइए, आपको कुछ जरूरी जानकारियों से अवगत कराते हैं:

  • मंदिर खुलने का समय: श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर सुबह सूर्योदय से लेकर शाम को सूर्यास्त तक खुला रहता है। आप दिन के किसी भी समय दर्शन के लिए जा सकते हैं।
  • प्रवेश शुल्क: मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है। श्रद्धालु अपनी इच्छा अनुसार दान कर सकते हैं। मंदिर परिसर में दान पात्र रखे गए हैं, जहां आप दान कर सकते हैं।
  • पूजा का सामान: आप मंदिर के बाहर से फूल, प्रसाद और पूजा का अन्य सामान खरीद सकते हैं।
  • मंदिर शिष्टाचार: मंदिर जाते समय शालीन वस्त्र पहनने चाहिए। मंदिर के गर्भगृह में जाने से पहले जूते उतारकर बाहर रखने चाहिए। मंदिर परिसर में शांत रहने और मोबाइल फोन को साइलेंट मोड पर रखने का पालन करें।

बिंदुक्षणी माता मंदिर तक कैसे पहुंचे | How to Reach Bindukshani Mata Mandir

श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर तक पहुंचना काफी आसान है। आप सड़क, रेल या हवाई मार्ग से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। आइए, विभिन्न विकल्पों पर एक नज़र डालें:

  • सड़क मार्ग:  श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर, राजस्थान के पाली जिले में स्थित है। पाली शहर से मंदिर लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर है। आप राष्ट्रीय राजमार्ग NH-६२ या राज्य राजमार्ग SH-६१ का उपयोग करके सड़क मार्ग से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। पाली शहर से निकलने के बाद आपको सुमेरपुर रोड की तरफ जाना होगा। कुछ ही दूर चलने पर रास्ता मंदिर की ओर मुड़ जाता है। टैक्सी या निजी वाहन आसानी से किराए पर मिल जाते हैं।
  • रेल मार्ग: पाली शहर का अपना रेलवे स्टेशन है, जो प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप ट्रेन से पाली पहुंच सकते हैं और फिर वहां से टैक्सी या ऑटो रिक्शा लेकर मंदिर तक जा सकते हैं।
  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Jaipur International Airport) है, जो पाली से लगभग २०० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप हवाई जहाज से जयपुर पहुंच सकते हैं और फिर वहां से टैक्सी किराए पर लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सड़क मार्ग मंदिर तक पहुंचने का सबसे सुविधाजनक विकल्प है। रेल और हवाई मार्ग का उपयोग करने वाले यात्रियों को मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का सहारा लेना पड़ सकता है।

बिंदुक्षणी माता मंदिर में पर्यटकों के लिए मार्गदर्शन | पर्यटकों के लिए सुझाव | Tourist Guide of Bindukshani Mata Mandir | Tourist Instruction of Bindukshani Mata Mandir

श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर की आध्यात्मिक यात्रा को सुखद बनाने के लिए यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:

  • सम्मानजनक वस्त्र पहनें: मंदिर एक पवित्र स्थान है, इसलिए शालीन और ढंके हुए कपड़े पहनकर जाएं। मंदिर में प्रवेश करने से पहले चमड़े की वस्तुओं को हटा देना चाहिए।
  • शांत बनाए रखें: मंदिर परिसर में शांत वातावरण बनाए रखें। पूजा-अर्चना के दौरान तेज आवाज न करें और मोबाइल फोन को साइलेंट मोड पर रखें।
  • प्रसाद और पूजा सामग्री: आप मंदिर के बाहर से फूल, मिठाई और पूजा का अन्य सामान खरीद सकते हैं। मंदिर के अंदर प्रसाद चढ़ाने के लिए निर्धारित स्थान हैं।
  • जूते उतारें: गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले चप्पल या जूते उतारकर बाहर रख दें। मंदिर परिसर में भी जूते पहनकर न घूमें।
  • दान देना वैकल्पिक: मंदिर में दान देना पूरी तरह से वैकल्पिक है। आप अपनी श्रद्धा अनुसार दान कर सकते हैं। मंदिर परिसर में दान पात्र रखे गए हैं।
  • पंक्ति का पालन करें: दर्शन के दौरान यदि भीड़ हो, तो धैर्य रखें और अपनी बारी का इंतजार करें।
  • मंदिर परिसर का सम्मान करें: मंदिर परिसर को स्वच्छ रखने में सहयोग करें और दीवारों या किसी भी वस्तु पर कुछ भी न लिखें।
  • दुकानों से सावधान: मंदिर के बाहर कई दुकानें हैं जो पूजा का सामान और स्मृति चिन्ह बेचती हैं। वस्तुओं को खरीदने से पहले उचित मूल्य पर मोलभाव करें।
  • पास के क्षेत्रों की सैर: आप मंदिर दर्शन के बाद पाली शहर के अन्य दर्शनीय स्थलों को भी देख सकते हैं।

इन सुझावों का पालन करके आप श्री बिंदुक्षणी माता मंदिर में एक सुखद और सार्थक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

निष्कर्ष | Conclusion

बिंदुक्षणी माता मंदिर राजस्थान की धरती पर स्थित एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है, जो सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। भव्य वास्तुकला, समृद्ध इतिहास और माता की दिव्य शक्ति का अनुभव श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है। मंदिर दर्शन से न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि इतिहास और कला के धरोहर को भी करीब से देखा जा सकता है।

1 thought on “बिंदुक्षणी माता मंदिर: भारद्वाज गोत्र की कुलदेवी | Bindukshani Mata Mandir”

  1. Mera Gotra Bharadwaj hai.aur mujhe malum hi nahi tha Mera kuldevi kaun sa mata hai.Thank you Jo aaj Mujhe jankari mila.main jaldi apna maa ka.pass aaraha hu.

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