चौहान राजवंश का ऐतिहासिक सफर: शाकंभरी से दिल्ली तक | Chauhan Vansh

चौहान राजवंश (Chauhan Vansh) ७ वीं से १२ वीं शताब्दी तक भारत में शासन करने वाला एक प्रमुख राजपूत राजवंश था। आइये पता करे चौहान वंश की कुलदेवी, चौहान गोत्र लिस्ट, चौहान वंश की २४ शाखाएं और ऐसे ही कई रोचक तथ्यों के बारे में|

Table of Contents

चौहान राजवंश का परिचय | Introduction to Chauhan Vansh

भारतीय इतिहास के शौर्य गाथाओं में राजपूत राजवंशों का एक महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हीं में से एक शक्तिशाली राजवंश था – चौहान वंश (Chauhan Vansh)। यह वंश ७ वीं से १२वीं शताब्दी तक वर्तमान राजस्थान, गुजरात और आसपास के क्षेत्रों पर शासन करता रहा।

चौहान वंश के शासनकाल को सैन्य संगठन, कला और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए जाना जाता है। इन शासकों ने अपने साम्राज्य को “सपादलक्ष” की उपाधि दी थी, जिसका अर्थ है “साढ़े तीन लाख गांवों का साम्राज्य”। यह विशाल साम्राज्य अपनी मजबूत सेना और कुशल प्रशासन के लिए प्रसिद्ध था।

वासुदेव, पूर्णतल्ल और जयराज जैसे युद्धनीतिज्ञ हस्तियों ने ही इस वंश की नींव रखी। उनके हाथों में साम्राज्य का मानचित्र धीरे-धीरे फैलता गया, ग्वालियर और गुजरात तक छूता हुआ। कला के क्षेत्र में गोपराज का शासन एक स्वर्णिम समय था, जहां भव्य सोमनाथ मंदिर जैसी कृतियां बनीं। अजयराज और पृथ्वीराज द्वितीय के अधीन साम्राज्य अपने पराक्रम के शिखर पर पहुंचा।

पृथ्वीराज तृतीय, जिन्हें इतिहास “पृथ्वीराज चौहान” के नाम से जानता है, वीरता की एक अविस्मरणीय गाथा हैं। तराइन के युद्ध में गजनी के सुल्तान मोहम्मद गौरी को उन्हीं के शरों ने कंपाया था। हालांकि, क्षुद्र विश्वासघात के चलते दूसरे तराइन के युद्ध में पराजय ने चौहानों का सूर्यास्त कर दिया।

आगामी लेख में, हम चौहान वंश के इतिहास, चौहान वंश इन हिंदी (Chauhan Vansh in Hindi), उनके प्रमुख शासकों, विशेष रूप से महाराजा पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर योद्धाओं की गाथाओं, उनके द्वारा निर्मित स्थापत्य कला और सांस्कृतिक योगदान के बारे में विस्तार से जानेंगे।

चौहान राजवंश की उत्पत्ति और प्रारंभिक इतिहास | चौहान वंश का इतिहास | चौहान राजपूत का इतिहास | चौहान राजपूत हिस्ट्री | History of Chauhan Rajput | Chauhan Rajput ka Itihas | Chauhan vansh ka Itihas

चौहान राजवंश (Chauhan Vansh) एक भारतीय राजपूत राजवंश था जिसके शासकों ने वर्तमान राजस्थान, गुजरात एवं इसके समीपवर्ती क्षेत्रों पर ७वीं शताब्दी से लेकर १२ वीं शताब्दी तक शासन किया। उनके द्वारा शासित क्षेत्र सपादलक्ष कहलाता था।

चौहान वंश की उत्पत्ति के बारे में कई किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। एक किंवदंती के अनुसार, चौहान वंश की उत्पत्ति ऋषियों द्वारा आबू पर्वत पर किए गए यज्ञ के अग्निकुंड से हुई थी। दूसरी किंवदंती के अनुसार, चौहान वंश की उत्पत्ति चरणमान कबीले से हुई थी। इतिहासविदों का मानना है कि, चौहान वंश की उत्पत्ति राजस्थान के अरावली पहाड़ियों के क्षेत्र में हुई थी।

चौहान वंश की स्थापना का समय लगभग ७ वीं शताब्दी माना जाता है। इस राजवंश के संस्थापक राजा वासुदेव चौहान माने जाते हैं। चौहानों ने मूल रूप से शाकंभरी (वर्तमान में सांभर लेक टाउन) में अपनी राजधानी बनाई थी। १० वीं शताब्दी तक, उन्होंने गुर्जर प्रतिहार जागीरदारों के रूप में शासन किया।

चौहान वंश के प्रारंभिक इतिहास में, उन्होंने कई अन्य राजवंशों के साथ युद्ध लड़े। उन्होंने 9वीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहारों को हराकर सपादलक्ष क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित किया। उन्होंने 10वीं शताब्दी में चालुक्यों को हराकर मालवा और गुजरात के क्षेत्रों पर भी अपना अधिकार स्थापित किया।

चौहान वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक पृथ्वीराज चौहान थे। उन्होंने ११८२ में तराइन के प्रथम युद्ध में मोहम्मद गौरी को हराया था। यह भारत में मुसलमानों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण जीत थी। हालांकि, पृथ्वीराज चौहान ११९२ में तराइन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद गौरी से हार गए थे। इस हार के बाद, चौहान वंश का पतन शुरू हो गया।

चौहान वंश ने भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने उत्तर भारत में राजपूत संस्कृति और सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। चौहानों के कई राजा महान योद्धा और शासक थे, जिन्होंने अपने पराक्रम और वीरता से भारतीय इतिहास में अमर स्थान प्राप्त किया।

यहाँ चौहान राजवंश के प्रारंभिक इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:

  • चौहान वंश की स्थापना का समय लगभग ७ वीं शताब्दी माना जाता है।
  • इस राजवंश के संस्थापक राजा वासुदेव चौहान माने जाते हैं।
  • चौहानों ने मूल रूप से शाकंभरी (वर्तमान में सांभर लेक टाउन) में अपनी राजधानी बनाई थी।
  • १० वीं शताब्दी तक, उन्होंने गुर्जर प्रतिहार जागीरदारों के रूप में शासन किया।
  • चौहान वंश के प्रारंभिक इतिहास में, उन्होंने कई अन्य राजवंशों के साथ युद्ध लड़े।
  • उन्होंने ९ वीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहारों को हराकर सपादलक्ष क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित किया।
  • उन्होंने १० वीं शताब्दी में चालुक्यों को हराकर मालवा और गुजरात के क्षेत्रों पर भी अपना अधिकार स्थापित किया।
  • चौहान वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक पृथ्वीराज चौहान थे।
  • उन्होंने ११८२ में तराइन के प्रथम युद्ध में मोहम्मद गौरी को हराया था।
  • हालांकि, पृथ्वीराज चौहान ११९२ में तराइन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद गौरी से हार गए थे।
  • इस हार के बाद, चौहान वंश का पतन शुरू हो गया।

चौहान राजवंश के प्रसिद्ध राजा और उनकी उपलब्धियां | Famous kings of Chauhan dynasty and their achievements

चौहान राजवंश एक भारतीय राजपूत राजवंश था जिसके शासकों ने वर्तमान राजस्थान, गुजरात एवं इसके समीपवर्ती क्षेत्रों पर ७वीं शताब्दी से लेकर १२ वीं शताब्दी तक शासन किया। उनके द्वारा शासित क्षेत्र सपादलक्ष कहलाता था।

चौहान वंश के कई राजा महान योद्धा और शासक थे, जिन्होंने अपने पराक्रम और वीरता से भारतीय इतिहास में अमर स्थान प्राप्त किया। इनमें से कुछ प्रसिद्ध राजा और उनकी उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

  • राजा वासुदेव चौहान (७ वीं शताब्दी): चौहान वंश के संस्थापक राजा वासुदेव चौहान थे। उन्होंने राजस्थान के अरावली पहाड़ियों के क्षेत्र में चौहान वंश की स्थापना की।
  • राजा सामंत राज (८ वीं शताब्दी): राजा सामंत राज ने चौहान वंश की सीमाओं का विस्तार किया। उन्होंने मालवा और गुजरात के क्षेत्रों पर भी अपना अधिकार स्थापित किया।
  • राजा अजयराज (९ वीं शताब्दी): राजा अजयराज ने चौहान वंश की राजधानी शाकंभरी से अजमेर स्थानांतरित की। उन्होंने अजमेर को एक शक्तिशाली किले में विकसित किया।
  • राजा विग्रहराज प्रथम (१० वीं शताब्दी): राजा विग्रहराज प्रथम ने चौहान वंश को एक शक्तिशाली साम्राज्य में बदल दिया। उन्होंने गुर्जर प्रतिहारों और चालुक्यों को हराकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
  • राजा चंद्रराज (११ वीं शताब्दी): राजा चंद्रराज ने चौहान वंश की सत्ता को मजबूत किया। उन्होंने मालवा और गुजरात के क्षेत्रों पर अपना अधिकार बनाए रखा।
  • राजा पृथ्वीराज चौहान (१२ वीं शताब्दी): चौहान वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक पृथ्वीराज चौहान थे। उन्हें “पृथ्वीराज रासो” में एक महान योद्धा और शासक के रूप में चित्रित किया गया है। उन्होंने ११८२ में तराइन के प्रथम युद्ध में मोहम्मद गौरी को हराया था, लेकिन ११९२ में तराइन के द्वितीय युद्ध में पराजित हुए थे।

इनके अलावा, चौहान वंश के अन्य प्रसिद्ध राजाओं में राजा विजयराज, राजा गोविंदराज, राजा मदनसिंह और राजा सोमेश्वर शामिल हैं।

चौहान राजवंश की उपलब्धियां | Achievements of Chauhan Dynasty

चौहान राजवंश ने भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने उत्तर भारत में राजपूत संस्कृति और सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। चौहानों के कई राजा महान योद्धा और शासक थे, जिन्होंने अपने पराक्रम और वीरता से भारतीय इतिहास में अमर स्थान प्राप्त किया।

  • उन्होंने वर्तमान राजस्थान, गुजरात एवं इसके समीपवर्ती क्षेत्रों पर एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की।
  • उन्होंने गुर्जर प्रतिहारों और चालुक्यों जैसे शक्तिशाली राजवंशों को हराकर अपनी सत्ता को मजबूत किया।
  • उन्होंने उत्तर भारत में राजपूत संस्कृति और सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • उन्होंने कई मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों का निर्माण करवाया।

चौहान राजवंश का पतन १२ वीं शताब्दी में मुहम्मद गौरी के आक्रमण के कारण हुआ। गौरी ने ११९२ में तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हराया था, जिसके बाद चौहान वंश का पतन हो गया।

चौहान वंश की २४ शाखाएं | चौहान वंश की शाखाएं | Chauhan vansh ki 24 shakhaye

चौहान वंश भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण वंश रहा है। इस वंश के कई महान राजा हुए जिन्होंने अपनी वीरता, पराक्रम और दानशीलता के लिए ख्याति प्राप्त की।

चौहान वंश की २४ शाखाएं:

१. हाड़ा: जोधपुर, बीकानेर, और नागौर के राजा हाड़ा चौहान वंश से थे।

२. खींची: ग्वालियर, मथुरा, और आगरा के राजा खींची चौहान वंश से थे।

३. सोनिगरा: जालौर, सिरोही, और पाली के राजा सोनिगरा चौहान वंश से थे।

४. पाविया: दिल्ली, ग्वालियर, और धार के राजा पाविया चौहान वंश से थे।

५. पुरबिया: कन्नौज, मथुरा, और आगरा के राजा पुरबिया चौहान वंश से थे।

६. संचौरा: मालवा, धार, और उज्जैन के राजा सांचौरा चौहान वंश से थे।

७. मेलवाल: गुजरात, कर्नाटक, और आंध्र प्रदेश के राजा मेलवाल चौहान वंश से थे।

८. भदौरिया: मान्यखेत (आधुनिक मल्खेड़) के राजा भदौरिया चौहान वंश से थे।

९. निर्वाण: मथुरा, वृंदावन, और द्वारका के राजा निर्वाण चौहान वंश से थे।

१०. मलानी: बंगाल, बिहार, और उड़ीसा के राजा मलानी चौहान वंश से थे।

११. धुरा: कांचीपुरम (आधुनिक चेन्नई) के राजा धुरा चौहान वंश से थे।

१२. माडरेवा: तंजावुर, मदुरै, और श्रीलंका के राजा माडरेवा चौहान वंश से थे।

१३. सनीखेचि: मदुरै, तंजावुर, और रामेश्वरम के राजा सनीखेचि चौहान वंश से थे।

१४. वारेछा: त्रिवेंद्रम, कोच्चि, और कोझिकोड के राजा वारेछा चौहान वंश से थे।

१५. पसेरिया: गोवा, कर्नाटक, और महाराष्ट्र के राजा पसेरिया चौहान वंश से थे।

१६. बालेछा: कलिंग (आधुनिक ओडिशा) के राजा बालेछा चौहान वंश से थे।

१७. रूसिया: मैसूर, बंगलौर, और शिमोगा के राजा रूसिया चौहान वंश से थे।

१८. चांदा: त्रिवेंद्रम, कोल्लम, और पठानमथिट्टा के राजा चांदा चौहान वंश से थे।

१९ निकुम: कोच्चि, एर्नाकुलम, और त्रिशूर के राजा निकुम चौहान वंश से थे।

२०. भावर: मैसूर, कर्नाटक, और केरल के राजा भावर चौहान वंश से थे।

२१. छछेरिया: मणिपुर के राजा छछेरिया चौहान वंश से थे।

२२. उजवानिया: अजमेर, दिल्ली, और सांभर के राजा उजवानिया चौहान वंश से थे।

२३. देवड़ा: देवगिरि (आधुनिक दौलताबाद) के राजा देवड़ा चौहान वंश से थे।

२४. बनकर: महोबा, कालपी, और चित्रकूट के राजा बनकर चौहान वंश से थे।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है:

  • यह केवल एक संक्षिप्त सूची है और चौहान वंश की २४ शाखाओं के बारे में अधिक जानकारी विभिन्न ऐतिहासिक ग्रंथों में उपलब्ध है।
  • कुछ विद्वानों के अनुसार, चौहान वंश की २४ शाखाओं की संख्या निश्चित नहीं है और यह विभिन्न स्रोतों में भिन्न हो सकती है।
  • कुछ शाखाओं का नाम और उनका स्थान भी विवादित हो सकता है।

चौहान गोत्र लिस्ट | चौहान राजपूत का गोत्र | चौहान वंश गोत्र लिस्ट | Chauhan Rajput ka Gotra | Chauhan vansh ka Gotra

चौहान राजपूतों का गोत्र वत्स है। वत्स गोत्र ऋषि वत्स से उत्पन्न हुआ माना जाता है। वत्स गोत्र क्षत्रिय जाति का गोत्र है।

चौहान वंश क्षत्रिय राजपूतों का एक प्रमुख वंश है। यह वंश ८वीं से १२वीं शताब्दी तक भारत के उत्तरी भाग में शासन करता था। चौहान वंश के कई राजा अपनी वीरता और पराक्रम के लिए प्रसिद्ध थे।

चौहान वंश के कुछ प्रमुख गोत्र इस प्रकार हैं:

१. वत्स, २. कौशिक, ३. भारद्वाज, ४. विश्वामित्र, ५. गौतम, ६. कश्यप, ७. अत्रि

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी चौहान राजपूतों का गोत्र वत्स नहीं है। कुछ चौहान राजपूतों के अन्य गोत्र भी हो सकते हैं।

चौहान वंश की कुलदेवी | चौहान गोत्र की कुलदेवी | चौहान राजपूत की कुलदेवी | चौहान राजपूत कुलदेवी | Chauhan vansh ki Kuldevi | Chauhan Rajput ki Kuldevi

चौहान वंश की कुलदेवी आशापुरा माता हैं। आशापुरा माता का मंदिर राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है। यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

माता आशापुरा को भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। वे आशा और समृद्धि की देवी हैं। चौहान राजपूतों का मानना ​​है कि आशापुरा माता ने हमेशा उनकी रक्षा की है और उन्हें सफलता प्रदान की है।

चौहान वंश के कई राजाओं ने माता आशापुरा के मंदिर का निर्माण और जीर्णोद्धार करवाया था। इनमें पृथ्वीराज चौहान, अजयराज चौहान और विग्रहराज चौहान शामिल हैं।

आज भी, चौहान राजपूत माता आशापुरा को अपनी कुलदेवी मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

माता आशापुरा के मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

  • यह मंदिर १० वीं शताब्दी में बनाया गया था।
  • मंदिर में माता आशापुरा की एक स्वयंभू मूर्ति है।
  • मंदिर के चारों ओर कई छोटे-छोटे मंदिर भी हैं।
  • हर साल नवरात्रि के दौरान मंदिर में भक्तों का मेला लगता है.

चौहान वंश की वंशावली | चौहान राजपूत की वंशावली | Chauhan vansh ki vanshavali

१. चाहमान: चौहान वंश के संस्थापक के रूप में माने जाने वाले राजा जिनका अस्तित्व संदिग्ध है।

२. वासुदेव: माना जाता है कि वासुदेव चौहान वंश के ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित पहले शासक थे।

३. सामन्तराज (ल. ६८४-७०९ ईस्वी): सामन्तराज ने ७ वीं शताब्दी के अंत में शासन किया।

४. नारा-देव (ल. ७०९-७२१ ईस्वी): नारा-देव सामन्तराज के पुत्र थे और 8वीं शताब्दी की शुरुआत में शासन किया।

५. अजयराज प्रथम (ल. ७२१-७३४ ईस्वी): अजयराज प्रथम ने चौहान वंश के प्रभाव का विस्तार किया।

६. विग्रहराज प्रथम (ल. ७३४-७५९ ईस्वी): विग्रहराज प्रथम ने अपने शासनकाल में चौहान वंश की शक्ति को मजबूत किया।

७. चंद्रराज प्रथम (ल. ७५९-७७१ ईस्वी): चंद्रराज प्रथम के शासनकाल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है।

८. गोपेंद्रराज (ल. ७७१-७८४ ईस्वी): गोपेंद्रराज ८ वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में शासक थे।

९. दुर्लभराज प्रथम (ल. ७८४-८०९ ईस्वी): दुर्लभराज प्रथम के शासनकाल के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है।

१०. गोविंदराज प्रथम (ल. ८०९-८३६ ईस्वी): गोविंदराज प्रथम ने चौहान वंश के प्रभाव को बनाए रखा।

११. चंद्रराज द्वितीय (ल. ८३६-८६३ ईस्वी): चंद्रराज द्वितीय ९ वीं शताब्दी के मध्य में शासन किया।

१२. गोविंदराजा द्वितीय (ल. ८६३-८९० ईस्वी): गोविंदराजा द्वितीय ने ९ वीं शताब्दी के अंत तक शासन किया। उनके शासनकाल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है।

१३. चंदनराज (ल. ८९०-९१७ ईस्वी): चंदनराज १० वीं शताब्दी के शासक थे।

१४. वाक्पतिराज प्रथम (ल. ९१७-९४४ ईस्वी): वाक्पतिराज प्रथम के शासनकाल में चौहान वंश का प्रभाव और बढ़ा। उनके छोटे बेटे ने नड्डुल चाहमान शाखा की स्थापना की।

१५. सिम्हराज (ल. ९४४-९७१ ईस्वी): सिम्हराज १० वीं शताब्दी के मध्य में शासक थे।

१६ विग्रहराज द्वितीय (ल. ९७१-९९८ ईस्वी): विग्रहराज द्वितीय ने चौहान वंश की शक्ति को पुनर्स्थापित किया।

१७. दुर्लभराज द्वितीय (ल. ९९८-१०१२ ईस्वी): दुर्लभराज द्वितीय के शासनकाल के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है।

१८. गोविंदराज तृतीय (ल. १०१२-१०२६ ईस्वी): गोविंदराज तृतीय ११ वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में शासक थे।

१९. वाक्पतिराज द्वितीय (ल. १०२६-१०४० ईस्वी): वाक्पतिराज द्वितीय के शासनकाल में चौहान वंश का प्रभाव बना रहा।

२०. विर्याराम (ल. १०४० ईस्वी): विर्याराम के शासनकाल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है।

२१. चामुंडराज चौहान (ल. १०४०-१०६५ ईस्वी): चामुंडराज चौहान ने ११ वीं शताब्दी के मध्य में शासन किया।

२२. दुर्लभराज तृतीय (ल. १०६५-१०७० ईस्वी): दुर्लभराज तृतीय के शासनकाल के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है।

२३. विग्रहराज तृतीय (ल. १०७०-१०९० ईस्वी): विग्रहराज तृतीय ने चौहान वंश के प्रभाव को बनाए रखा।

२४. पृथ्वीराज प्रथम (ल. १०९०-१११० ईस्वी): पृथ्वीराज प्रथम के शासनकाल में चौहान वंश मजबूत हुआ।

२५. अजयराज द्वितीय (ल. १११०-११३५ ईस्वी): अजयराज द्वितीय ने राजधानी को अजयमेरु (अजमेर) स्थानांतरित किया।

२६. अर्णोराज चौहान (ल. ११३५-११५० ईस्वी): अर्णोराज चौहान १२ वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में शासक थे।

२७. जगददेव चौहान (ल. ११५० ईस्वी): जगददेव चौहान के शासनकाल के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिलती है।

२८. विग्रहराज चतुर्थ (ल. ११५०-११६४ ईस्वी): विग्रहराज चतुर्थ को विरदेव के नाम से भी जाना जाता है।

२९. अमरगंगेय (ल. ११६४-११६५ ईस्वी): अमरगंगेय का शासनकाल बहुत कम समय के लिए था।

३०. पृथ्वीराज द्वितीय (ल. ११६५-११६९ ईस्वी): पृथ्वीराज द्वितीय ने अपने पिता के बाद शासन किया।

३१. सोमेश्वर चौहान (ल. ११६९ -११७८ ईस्वी): सोमेश्वर चौहान के शासनकाल के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है।

३२. पृथ्वीराज तृतीय (ल. ११७८-११९२ ईस्वी): पृथ्वीराज तृतीय को पृथ्वीराज चौहान के नाम से जाना जाता है। वह चौहान वंश के सबसे प्रसिद्ध राजाओं में से एक थे, जिन्होंने मोहम्मद गौरी के साथ युद्ध लड़े।

३३. गोविंदाराज चतुर्थ (ल. ११९२ ईस्वी): गोविंदाराज चतुर्थ ने मुस्लिम शासन स्वीकार करने से इनकार कर दिया और हरिराज द्वारा निर्वासित कर दिया गया। उन्होंने रणस्तंभपुरा के चाहमान शाखा की स्थापना की।

३४. हरिराज (ल. ११९३-११९४ ईस्वी): हरिराज चौहान वंश के अंतिम स्वतंत्र शासक थे।

चौहान राजवंश के प्रांत | Provinces of Chauhan Dynasty

क्र.प्रांत के नामप्रांत का प्रकार
बनकोड़ाठिकाना
बंसियाठिकाना
बेदलाठिकाना
भाद्दैयां राजतालुक
बिश्रामपुरजमींदारी
चंद्रपुर पदमपुरजमींदारी
चंगभाकररियासत
देआरातालुक
धामीरियासत
१०धरदाराठिकाना
११ड़ोड़ीयालीठिकाना
१२गढ़ीजागीर
१३जरासिंघाजमींदारी
१४जशपुररियासत
१५झारग्रामजमींदारी
१६करौड़ियारियासत
१७खारीअरजमींदारी
१८कोरियारियासत
१९कोठारियाजागीर
२०कुचिअकोलजमींदारी
२१लोडावलठिकाना
२२मैनपुरीजमींदारी
२३मांडवठिकाना
२४मोटागाँवठिकाना
२५नीमखेड़ारियासत
२६नीमरानाठिकाना
२७पालनहेडाजागीर
२८परदामाताजीठिकाना
२९पारसोलीजागीर
३०पटनारियासत
३१पीपलोदठिकाना
३२राय गोविंदपुरजमींदारी
३३रायपुर रानीजमींदारी
३४राजगढ़रियासत
३५संजेलीरियासत
३६सरसवाजागीर
३७सवंत्सरठिकाना
३८शेरगढ़ठिकाना
३९सिंगवालठिकाना
४०सिंगरौलीरियासत
४१सोनपुररियासत
४२सुजाजी का गढाठिकाना
४३तम्बोलियाठिकाना
४४ठाकरडाजागीर
४५तुलसीपुररियासत
४६वडथाळीठिकाना
४७वागेरीठिकाना
४८वनवासठिकाना
४९वावरियासत

निष्कर्ष | Conclusion

चौहान राजवंश भारत के मध्यकालीन इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस वंश के राजाओं ने अपने शौर्य, त्याग और पराक्रम से भारत की रक्षा की और राजपूत संस्कृति को समृद्ध किया।

चौहान राजवंश का उदय १० वीं शताब्दी में हुआ। इस वंश के पहले राजा जयचंद थे, जिन्होंने ९२१ ईस्वी में शाकंभरी को अपनी राजधानी बनाया। चौहान राजवंश ने 13 वीं शताब्दी तक भारत के उत्तरी भाग में शासन किया।

चौहान राजवंश के राजाओं ने कई युद्ध लड़े और कई विजय हासिल की। उन्होंने कई मुस्लिम आक्रमणों को भी विफल किया।

चौहान राजवंश की वीरता और त्याग की गाथाएं आज भी लोकप्रिय हैं। इस वंश ने भारत के इतिहास और संस्कृति में एक अमिट छाप छोड़ी है।

चौहान राजवंश भारत के एक महान राजवंश था। इस वंश के राजाओं ने अपने शौर्य और पराक्रम से भारत की रक्षा की और राजपूत संस्कृति को समृद्ध किया। चौहान राजवंश की वीरता और त्याग की गाथाएं आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

Leave a Comment