खेवज माता मंदिर: सोलंकी वंश की कुलदेवी | Khevaj Mata Mandir

श्री खेवज माता मंदिर (Khevaj Mata), सोलंकी राजपूत राजवंश की कुलदेवी को समर्पित है। मंदिर की स्थापत्य कला, प्राचीन इतिहास और मनमोहक वातावरण इसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण बनाते हैं।

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खेवज माता मंदिर का परिचय | खेवज माता मंदिर | Introduction of Khevaj Mata Mandir

राजस्थान, अपने भव्य किलों और रंगीन संस्कृति के लिए जाना जाता है, वहां कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं। इनमें से एक है भीनमाल स्थित श्री खेवज माता का मंदिर। यह मंदिर माता को समर्पित है जिन्हें क्षेमकरी माता के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

भीनमाल शहर से करीब तीन किलोमीटर दूर एक डेढ़ सौ फीट ऊँची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है श्री खेवज माता का मंदिर। मंदिर तक पहुंचने के लिए पक्की सीढ़ियां बनाई गई हैं। माना जाता है कि सोलंकी राजपूत राजवंश इस मंदिर को अपनी कुलदेवी का मंदिर मानता है।

आगामी लेख में, हम श्री खेवज माता मंदिर के इतिहास, इसकी स्थापत्य कला और मंदिर में होने वाले प्रमुख उत्सवों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि क्यों माता को क्षेमकरी के नाम से भी जाना जाता है।

खेवज माता मंदिर का स्थान | खेवज माता मंदिर कहा स्थित है | Location of Khevaj Mata Mandir | Khevaj Mata Mandir kaha hai

भीनमाल का श्री खेवज माता मंदिर न केवल धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है बल्कि इसका स्थान भी दर्शनार्थियों को अपनी ओर खींचता है। यह मंदिर राजस्थान के जालौर जिले में स्थित भीनमाल शहर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अरावली की पहाड़ियों की गोद में बसा यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।

यहां पहुंचने के लिए पहाड़ी की चोटी तक जाने के लिए पक्की सीढ़ियां बनी हुई हैं। कई श्रद्धालु इन सीढ़ियों से चढ़कर मंदिर तक पैदल ही पहुंचना पसंद करते हैं। वहीं, कुछ के लिए वाहन द्वारा जाने की भी व्यवस्था है। पहाड़ी की ऊंचाई से नीचे का मनोरम दृश्य अपने आप में अविस्मरणीय होता है।

खेवज माता मंदिर की वास्तुकला | Architecture of Khevaj Mata Mandir

श्री खेवज माता मंदिर अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ स्थापत्य कला का भी एक बेहतरीन उदाहरण है। हालांकि मंदिर के निर्माण का समय अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन माना जाता है कि यह काफी प्राचीन है। मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से किया गया है।

मंदिर में मुख्य रूप से दो भाग हैं – गर्भगृह और मंडप। गर्भगृह में माता की प्रतिमा विराजमान है और यही वह स्थान है जहां दर्शनार्थी पूजा-अर्चना करते हैं। मंडप में भी धार्मिक आयोजन और सामूहिक प्रार्थनाएं की जाती हैं। मंदिर के बाहर प्रांगण में भगवान शिव का एक भव्य शिवलिंग भी स्थापित है। मंदिर के शिखर तक ध्वजा लहराती है।

मंदिर की छत पर की गई नक्काशी भी दर्शनीय है। इन नक्काशियों में देवी-देवताओं, ज्यामितीय आकृतियों और पुष्पों की कलाकृतियां देखी जा सकती हैं। यह नक्काशी न केवल मंदिर की खूबसूरती को बढ़ाती है बल्कि उस समय की कला शैली को भी दर्शाती है।

खेवज माता मंदिर का निर्माण | Construction of Khevaj Mata Mandir

भीनमाल स्थित श्री खेवज माता मंदिर का इतिहास अभी भी रहस्य का विषय बना हुआ है। मंदिर के निर्माण काल के बारे में कोई ठोस सबूत या शिलालेख नहीं मिल पाए हैं। हालांकि, मंदिर की स्थापत्य शैली और आसपास के क्षेत्र से मिले पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर यह माना जाता है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है।

स्थानीय लोक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण सैकड़ों साल पहले करवाया गया था। कुछ कथाओं में तो इसे हजारों साल पुराना भी बताया जाता है। मंदिर को सोलंकी राजपूत राजवंश की कुलदेवी का मंदिर माना जाता है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर का निर्माण संभवत: इस राजवंश के शासनकाल में ही हुआ होगा।

हालांकि, अभी तक कोई ठोस सबूत न मिलने के कारण मंदिर के निर्माण को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाती है। पुरातत्व विभाग द्वारा अतिरिक्त जांच किए जाने की उम्मीद है जिससे भविष्य में मंदिर के निर्माण काल के बारे में कुछ रोशनी पड़ सके।

खेवज माता मंदिर का इतिहास | Khevaj Mata Mandir history in Hindi | Khevaj Mata Mandir Rajasthan History

भीनमाल स्थित श्री खेवज माता का मंदिर अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ इतिहास की गहराइयों में भी समाया हुआ है। हालांकि, मंदिर के निर्माण काल को लेकर कोई ठोस सबूत या शिलालेख अभी तक सामने नहीं आए हैं, फिर भी मंदिर से जुड़ी लोक कथाएं, स्थापत्य कला और आसपास के क्षेत्र से मिले पुरातात्विक साक्ष्य हमें इसके गौरवशाली अतीत की झलक दिखाते हैं।

स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार, यह मंदिर कई सौ साल पहले बनवाया गया था। कुछ कहानियों में तो इसकी आयु हजारों साल भी बताई जाती है। माना जाता है कि सोलंकी राजपूत राजवंश इस मंदिर को अपनी कुलदेवी का मंदिर मानता है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि संभवत: इस राजवंश के शासनकाल में ही इस मंदिर का निर्माण हुआ होगा। सोलंकी राजपूत वंश का इतिहास गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के कमजोर होने के बाद १० वीं शताब्दी से १३ वीं शताब्दी के आसपास का माना जाता है। यदि यह मान्यता सही है, तो यह मंदिर कम से कम आठ सौ साल से भी ज्यादा पुराना हो सकता है।

इतिहासकारों का मानना है कि मंदिर की स्थापत्य कला शैली पर मालवा और गुजरात की शैलियों का प्रभाव दिखाई देता है। मंदिर में प्रयुक्त लाल बलुआ पत्थर भी इस बात का संकेत देते हैं कि इसका निर्माण उस कालखंड में हुआ होगा जब इन क्षेत्रों की स्थापत्य शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता था।

इतिहास के कुछ पन्नों में इस क्षेत्र पर गुप्त साम्राज्य (लगभग चौथी से छठी शताब्दी) के शासन के प्रमाण भी मिलते हैं। यह संभव है कि इस कालखंड में भी इस मंदिर का अस्तित्व रहा हो और बाद के शासकों द्वारा इसका जीर्णोद्धार या विस्तार करवाया गया हो।

हालांकि, अभी तक मिले साक्ष्य निश्चित रूप से कुछ नहीं बता पाते। पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में और अधिक खोज की उम्मीद है। ऐसी संभावना है कि भविष्य में खुदाई या शिलालेखों की खोज से मंदिर के निर्माण काल और इतिहास के बारे में और अधिक जानकारी मिल सके।

यह भी उल्लेखनीय है कि मां खेवज को क्षेमकरी माता के नाम से भी जाना जाता है। “क्षेम” शब्द का अर्थ “कल्याण” या “मंगल” होता है। माना जाता है कि माता अपने भक्तों का कल्याण करती हैं और उन्हें कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं। यह भी संभव है कि इस क्षेत्र में प्राचीन काल से ही माता की पूजा-आराधना होती रही हो और धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण हुआ हो।

आने वाले समय में शायद पुरातात्विक खोजों से श्री खेवज माता मंदिर के इतिहास के और भी पन्ने खुल सकें। फिलहाल, स्थानीय लोगों की आस्था और मंदिर से जुड़ी लोक कथाएं ही इसके गौरवशाली अतीत की गवाही देती हैं।

खेवज माता मंदिर के प्रमुख दर्शनीय स्थल | खेवज माता मंदिर के पर्यटन स्थल |  Major tourist places around Khevaj Mata Mandir

भीनमाल स्थित श्री खेवज माता मंदिर न केवल माता के दर्शन के लिए प्रसिद्ध है बल्कि परिसर में मौजूद अन्य दर्शनीय स्थल भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। आइए, जानते हैं मंदिर परिसर के कुछ प्रमुख आकर्षणों के बारे में:

  • मुख्य मंदिर: लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित भव्य मंदिर ही अपने आप में एक दर्शनीय स्थल है। मंदिर की उत्कृष्ट नक्काशी और स्थापत्य कला शैली कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर देती है। गर्भगृह में विराजमान माता की प्रतिमा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती हैं।
  • शिवलिंग: मंदिर परिसर के बाहर स्थित भव्य शिवलिंग भी दर्शनीय है। कई श्रद्धालु मां खेवज के दर्शन के साथ-साथ भगवान शिव का भी आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं।
  • अरावली की मनमोहक छटा: मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यहां से नीचे का दृश्य अपने आप में अविस्मरणीय है। दूर तक फैली अरावली पर्वतमाला की मनमोहक छटा पर्यटकों को प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने का अवसर प्रदान करती है।
  • शांत वातावरण: मंदिर शहर के कोलाहल से दूर स्थित है। यहां का शांत वातावरण मन को शांति प्रदान करता है और ध्यान लगाने में सहायक होता है।

खेवज माता मंदिर घूमने का सही समय | Right time to visit Khevaj Mata Mandir

भीनमाल स्थित श्री खेवज माता मंदिर साल भर दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है। हालांकि, यहां आने का सबसे अच्छा समय विशेष रूप से दो नवरात्रों – शारदीय नवरात्रि (अक्टूबर या नवंबर में) और चैत्र नवरात्रि (मार्च या अप्रैल में) से जुड़ा हुआ है। इन नवरात्रों के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है।

इन नौ दिनों में मंदिर प्रांगण भक्तिमय वातावरण से सराबोर हो जाता है। माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है और दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यदि आप भक्तिमय माहौल का अनुभव करना चाहते हैं और माता के दर्शन के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होना चाहते हैं, तो नवरात्रि का समय आपके लिए उपयुक्त हो सकता है।

लेकिन, अगर आप शांत वातावरण में मंदिर दर्शन करना पसंद करते हैं तो नवरात्रि को छोड़कर अन्य किसी भी समय आप भीनमाल की यात्रा कर सकते हैं। हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि गर्मियों के दौरान (अप्रैल से जून) यहां का मौसम गर्म रहता है। इसलिए, यदि आप गर्मी सहन नहीं कर पाते हैं तो किसी अन्य मौसम, जैसे सर्दियों (नवंबर से फरवरी) में आने की योजना बना सकते हैं। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और आप आराम से दर्शन कर सकते हैं।

खेवज माता मंदिर खुलने का समय और प्रवेश शुल्क | खेवज माता मंदिर का समय  | Timing of Khevaj Mata Mandir

भीनमाल स्थित श्री खेवज माता मंदिर दर्शनार्थियों के लिए साल भर निःशुल्क खुला रहता है। यहां किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है। मंदिर सुबह ६ बजे खुल जाता है और रात ९:३० बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है।

हालांकि, मंदिर में दर्शन का शुभ मुहूर्त सुबह ७ बजे से लेकर दोपहर १ बजे के बीच माना जाता है। आप अपनी यात्रा की सुविधा के अनुसार सुबह जल्दी या फिर दोपहर बाद भी दर्शन के लिए जा सकते हैं।

खेवज माता मंदिर तक कैसे पहुंचे | How to Reach Khevaj Mata Mandir

भीनमाल स्थित श्री खेवज माता मंदिर तक सड़क, रेल और वायु मार्ग से पहुंचा जा सकता है। आइए, जानते हैं इन माध्यमों के बारे में विस्तार से:

  • सड़क मार्ग: भीनमाल राजस्थान के कई प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जालौर से लगभग ३ किलोमीटर की दूरी पर स्थित होने के कारण आप जालौर से टैक्सी या बस द्वारा आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। जोधपुर, उदयपुर और अहमदाबाद जैसे शहरों से भी नियमित रूप से बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
  • रेल मार्ग: यदि आप रेल मार्ग से यात्रा करना चाहते हैं, तो निकटतम रेलवे स्टेशन जालौर जंक्शन है। जालौर जंक्शन से आप टैक्सी या रिक्शा द्वारा लगभग १५ मिनट में भीनमाल पहुंच सकते हैं।
  • वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर विमानक्षेत्र है, जो भीनमाल से लगभग १८० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जोधपुर विमानक्षेत्र से आप टैक्सी किराए पर लेकर भीनमाल पहुंच सकते हैं। हालांकि, हवाई यात्रा का विकल्प अपेक्षाकृत अधिक समय लेने वाला और खर्चीला हो सकता है।

खेवज माता मंदिर में पर्यटकों के लिए मार्गदर्शन | पर्यटकों के लिए सुझाव | Tourist Guide of Khevaj Mata Mandir | Tourist Instruction of Khevaj Mata Mandir

भीनमाल स्थित श्री खेवज मांदिर की यात्रा आपके लिए सुखद और सुविधाजनक बनाने के लिए यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:

  • आरामदायक कपड़े पहनें: मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको पहाड़ी पर चढ़ाई करनी पड़ सकती है। इसलिए, ऐसे कपड़े पहनें जो चलने में सहज हों।
  • पानी की बोतल साथ रखें: चढ़ाई के दौरान गर्मी लग सकती है, इसलिए अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पानी की बोतल रखना न भूलें।
  • धूप से बचाव करें: विशेष रूप से गर्मी के मौसम में यात्रा करते समय धूप से बचने के लिए टोपी, चश्मा और छाता साथ रखें।
  • प्रसाद: यदि आप माता को चढ़ावा चढ़ाना चाहते हैं तो आप प्रसाद घर से ला सकते हैं या मंदिर परिसर में ही उपलब्ध प्रसाद ले सकते हैं।
  • जूते की व्यवस्था: मंदिर के गर्भगृह के अंदर जाने से पहले चप्पल या जूते उतारने होते हैं। जूते रखने के लिए मंदिर परिसर में निःशुल्क जूता स्टैंड उपलब्ध हैं।
  • सामान का ध्यान रखें: मंदिर में दर्शन के दौरान अपने सामान का ध्यान रखें। भीड़भाड़ होने पर जेबतराशी की संभावना रहती है।
  • मंदिर परिसर में शांति बनाए रखें: मंदिर परिसर एक धार्मिक स्थल है। इसलिए यहां पर शोरगुल न करें और शांति बनाए रखें।

इन सुझावों को अपनाकर आप श्री खेवज माता मंदिर की यात्रा को सुखद और आध्यात्मिक बना सकते हैं।

निष्कर्ष | Conclusion

भीनमाल स्थित श्री खेवज माता मंदिर धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं को आस्था का केंद्र प्रदान करता है बल्कि अपने इतिहास और स्थापत्य कला के माध्यम से हमें अतीत से जोड़े रखता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए की जाने वाली पहाड़ी की चढ़ाई श्रद्धालुओं की भक्ति भावना को और मजबूत बनाती है। निश्चित रूप से श्री खेवज माता मंदिर की यात्रा आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव हो सकती है।

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