हवा महल की ९५३ जालीदार खिड़कियां रानियों को पर्दे के पीछे रहते हुए शहर के उत्सवों और जुलूसों को देखने का मौका देती थीं।
झरोखों से रानियां और राजकुमारियां शहर के बाजारों, सड़कों और लोगों को बिना अपना चेहरा दिखाए देख सकती थीं।
रानियां झरोखों से राजनीतिक गतिविधियों और शाही दरबार के बाहर होने वाली घटनाओं पर भी नजर रख सकती थीं।
युद्ध के समय, रानियां झरोखों से शत्रु सेना की गतिविधियों का अवलोकन कर सकती थीं और परिस्थिति को जान सकती थी।
कुछ किवदंतियां और किस्से बताते हैं कि प्रेमी इन्ही झरोखों के माध्यम से गुप्त संदेशों का आदान-प्रदान करते थे।
झरोखो से आने वाली हवा रानियों को शहर में चल रही गतिविधियों की आवाज़ें, मधुर गीत और संगीत सुनने का मौका देती थी।
झरोखों से रानियां और राजकुमारियां सूर्योदय, सूर्यास्त और प्राकृतिक परिवर्तनों के मोहक दृश्यों का आनंद ले सकती थीं।
जालीदार खिड़कियां महल में हवा का संचार करती थीं, जिससे राजस्थानी गर्मी के मौसम में भी महल में ठंडक बनी रहती थी।
झरोखों का डिजाइन वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों पर आधारित था, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखने में मदद करता था।
हवा महल राजपूत महिलाओं को पर्दे के पीछे रहते हुए भी दुनिया को देखने और उससे जुड़ने का अधिकार देता था।
हवा महल आज भी राजपूत शासन काल की भव्यता और राजपूत रानियों और राजकुमारियों के राजसी जीवन का एक अनूठा स्मारक है।
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